कोरोना वायरस पर कविताएँ-जरूर पढ़े-Corona Virus Poems By Celebrities
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Corona Virus Poems In Hindi |
Corona Virus Poems in Hindi
इन लोगो ने लिखी कविता-Corona Poems of Amitabh Bachchan-Corona Poems Of Neha Kakkar-Corona Poems By Kuldeep Mishra Corona Kavita-Ayushmann Khurrana poem on Corona Virus-A poem on Corona awareness-Corona Virus Poem In English
दीपक कुमार त्यागी ने लिखी मिलकर कोरोना को हराना है कविता-Corona Virus Poem By Deepak Kumar Tyagi
A poem on Corona awareness
मिलकर कोरोना को हराना है,
घर से हमें कहीं नहीं जाना है,
हाथ किसी से नहीं मिलना है,
चहरे से हाथ नहीं लगाना है,
बार-बार अच्छे से हाथ धोने जाना है,
सेनेटाइज करके देश को स्वच्छ बनाना है,
बचाव ही इलाज है यह समझाना है,
कोरोना से हमकों नहीं घबराना है,
सावधानी रखकर कोरोना को मिटाना है,
देशहित में सभी को यह कदम उठाना है।
By-दीपक कुमार त्यागी
कोरोना पर आयुष्मान खुराना की कविता-Ayushmann Khurrana poem on Corona Virus
Woh saamne waali building kuch din pehle seal ho gayi.
Aur tab se aas pados ke logon ki zindagi thodi tabdeel ho gayi.
Ussi building ke neeche waali dukaan se toh ghar ka samaan aata tha.
Woh bimaari ke baare mein pehle bata deta toh kya jaata tha.
Aaj hum dare hue hain.
Jeevit hain par mare hue hain.
Aaj lagta hai kaash kar dein sab kuch theek is duniya ko karke rewind.
But believe me this is nothing but the collective karma of mankind.
Salaam hai usko jo sadkein saaf karta hai, kachra le kar jaata hai, ghar ka saamaan le kar aata hai. Aur phir apne ghar jaata hai.
Par humne unko kabhi izzat dee hee nahi. Hum paise waale hain. Humare baap ka kya jaata hai.
Aur woh bechaara darta hai ki coronavirus uske parivaar ko na ho jaaye.
Woh apne chote bachche ko choo nahi paata hai.
Yeh ameer gareeb ka insaaniyat se pare ka naata hai.
Is desh ko gareeb hee chalata tha. Gareeb hee chalayega.
Humein is samay bhi sab suvidhaaen gareeb hee dilaayega.
Ab jab sab theek ho jaayega toh in logon ko izzat dena.
Koi kaam chota nahi hota yeh baat apne palle baandh lena.
Aaj doctor nurses, police, humaare security gaurd hain sabse zyaada kaam ke
Hum sab Bollywood hero hain bas naam ke
Hum bas paise de sakte hain. Hathiyaar de sakte hain.
Ladhna unko hai. Unhi ko sab kuch sehna hai.
Humko toh sirf ghar pe rehna hai.
Humko toh sirf ghar pe rehna hai.
अमिताभ बच्चन की कोरोना वायरस पर कविता-Corona Virus Poems Of Amitabh Bachchan kavita
A poem on Corona awareness
हुत इलाज बताते हैं जन-जनमानस सब।
किसकी सुनें किसकी नहीं कौन बताए अब।
कोई कहता है कलौंजी पीसो, कोई कहता है आंवला रस।
कोई कहता है घर में बैठो हिलो न टस से मस।
ईर कहते हैं और बीर कहते हैं औसा कुछ भी ना करो।
बिना साबुन हाथ न धोएं और किसी को न छुएं।
हमने कहा कि चलो हम ही कर देते हैं ऐसा जैसा बोल रहे हैं सब।
आने दो कोरोना-वोरोना ठेंगा दिखाओ तब।
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All Corona Virus Poems In Hindi For Facebook And Whatsapp
निचे लिखी ये कविताएं शशि पांडेय और डॉ विदुषी शर्मा की फेसबुक वॉल से ली गई हैं-Facebook Poems On corona Virus
देखो चीन ने जैसे कोई किया हो जादू -टोना
देखो पूरी दुनिया बोल रही है कोरोना कोरोना
अपनी चुन्नी चुन्नी आंखों से जब डरा ना पाया
चमगादड़ खा अपनी बीमारी सबको सरकाया
चाऊ चाऊ करके हम चाव से खाते थे चाऊमीन
नाशपीटे बुरा हो तेरा तूने मजे हमारे लिए छीन
अच्छा खासा इंसान देखो बंदर बन के डोल रहा
हाथ मिला के बनता अंग्रेज अब नमस्ते बोल रहा
देखो तो टी वी वालेन की बांछें कैसी खिल रहीं
जैसे पराठे संगे पुदीना चटनी उनको फ्री मिल रही
देखो मुस्का वुस्का लगाने से गलती हो गयी एक
पति हमारे चल दिए और किसी का हाथ लेके टेक
थोड़ी सी सावधानी कर लो ,ना करो दइया दइया
वरना फिर करते रह जाओगे हाये मइया मइया
बनो सनातन कुछ ना होना...
बन्द करो करोना का रोना
बनो सनातन कुछ ना होना
तन- मन- जीवन हिन्दू हो तो
सदा स्वस्थ कोई रोग ना होना
खाना में शाकाहार करो...
करना है तो करो नमस्ते
शेक हैंड मत करोना
खाना में शाकाहार करो
मांसाहार मत करोना
मदिरा पान मत करोना...
रोज करो तुलसी का सेवन ,
धूम्रपान मत करोना
नीम गिलोय का घूंट भरो
मदिरा पान मत करोना
फ़ास्ट फ़ूड मत करोना...
देशी भोजन रोज करो
फ़ास्ट फ़ूड मत करोना
लाश दफन मत करोना...
कहीं गंदगी मत करोना
अग्नि संस्कार करो शव का
लाश दफन मत करोना
ये हिंदुस्तान है और ये मार्च का महीना है
और एक फ़ैसला आपको करना है
ठीक है कि फ़िज़ा ठीक नहीं
मालूम है कि माहौल डर का है
बदसूरत सन्नाटे की आहट सुनी हमने
धुकधुकी है छाती के भीतर
फ़िक़्र है, बुज़ुर्गों की, बच्चों की
दुकानें बंद हैं
सड़कें वीरान हैं
दूसरे शहर में पड़ी मांओं की रातें करती हैं सांय सांय
कोई घर नहीं आता
दोस्तों को भींच लेने को तरसती हैं बाज़ुएं
बूढ़ी दादी कहती हैं, मुलुक को किसी की नज़र लग गई है
डर लगता है ना?
पर वो बता रहे हैं कि सफ़ेद कोट पहनने वाले
कुछ पढ़ाकुओं ने, प्रयोगशालाओं में जान दे रक्खी है
वो बता रहे हैं कि महज़ कुछ हफ़्तों की क़ैद के बाद
कई दिशाओं से आ रही हैं राहत की महक
वो बता रहे हैं कि स्पेन में सलाख़ें तोड़कर
बालकनियों से निकला है एक संगीत
उम्मीदों के रौशनदान अब भी खुले हैं
जो क़ैद में हैं वो ये संगीत सुन रहे हैं
कोई मुल्क है दुनिया के किसी कोने में डेनमार्क करके
जहां सरकार ने सेठों से कहा है कि वे नौकरियां न लें, तनख़्वाह हम से ले लें
मेरे पड़ोस की एक बच्ची ने फोन कर दिया है अपने दोस्तों को
कोरोना चला जाएगा तो फिर से खेलेंगे चोर पुलिस का खेल
दिमाग़ का एक डॉक्टर मुफ़्त में दे रहा है मशविरे
कि यहूदियों के तजुर्बे पढ़ो जहां उम्मीद का एक कण न दीखता था
सारी दुनिया सख़्ती और नरमी, दोनों का सही इस्तेमाल सीख रही है
सारी दुनिया में लोग इस बीमारी से सबक ले रहे हैं
सारी दुनिया समझ चुकी है कि ये लड़ाई बंदूक़ों और जहाज़ों की नहीं, धीरज और प्रेम की है
और ये हिंदुस्तान है जिसने सब देखा हुआ है
बंगाल के अकाल से
भुज के भूकंप तक
सुनामी पुनामी सब झेली हुई है
बस जिगरा चाहिए, करुणा चाहिए
और देखना बहुत जल्द होगा
जब हमारी बसों में प्रेमी हाथ पकड़कर बैठेंगे
और धक्का लगने पर चूमेंगे चोरी-चोरी
देखना बहुत जल्द होगा जब दफ्तर की सारी थकानें हारेंगी
जब मिल बैठेंगे कई साल पुराने दोस्त
फिर से आसमां गुलाबी होगा
मंदिरों की घंटियों से, अज़ान के स्वरों से
सड़कों पर लकड़ी की डंडी से टायर दौड़ाते बच्चे लौटेंगे
लौटेगा कीर्तन को जाती औरतों का शोर
और गोलगप्पे वाले को 10 का नोट पकड़ाती लड़कियां
लौटेंगे प्लास्टिक की कुर्सियों से सड़कें घेरे बैठे बुजुर्गों के ठहाके
ये सब विरामचिह्न हैं हमारे भागते हुए शहरों के
ये सब लौटेंगे
बस ये हिंदुस्तान है और ये मार्च का महीना है और आपको एक फ़ैसला करना है
फ़ैसला एकांत के अभ्यास का
और अपने समाज पर विश्वास का
वसंत कोई प्लेन या ट्रेन में बैठकर नहीं आता
वो चला आएगा आपके बंद पड़े घर की खुली हुई खिड़कियों से
कुछ दिन घर में रहिए जहां अपने रहते हैं
इसी बहाने फुरसतों को जी लीजिए
शीशे में देखकर फिर से बनाइए चेहरे
फिर से बचपन वाले क्रिकेट शॉट, हाथ से मारिए हवा में
पुरानी किताबों की धूल झाड़िये ज़रा
अलमारी पर चिपकी बिंदियों का गोंद छुड़ाइए ज़रा
डर है तो हो पर नफ़रत न हो
क़ैद है तो हो, अकेलापन न हो
शक है तो हो, स्वार्थ की जगह न हो
बीमारी है तो होगी अपनी जगह
आत्मा बीमार न हो
तो ये हिंदुस्तान है जनाब और ये मार्च का महीना है
और एक फ़ैसला आपको करना है
तो जाइए पहले हाथ धो आइए और
पड़ोसी को फोन करके वाई-फाई ले लीजिए
और चिल्लाइए खिड़कियों से
या धुन बनाकर गाइए इसे
कि किसी का हाथ छूना नहीं है
पर किसी का साथ छोड़ना नहीं है
और कल जब सब कुछ खुलेगा
तो देखना हमारे इन्हीं आसमानों में उड़ते हुए पंछी कहेंगे
कि कमबख़त इंसानों की इस ज़िद्दी ज़ात ने
एक लड़ाई और जीत ली
बस ये मार्च का महीना है
और आपको एक फ़ैसला करना है.
I travel faster than lightning speed
Can infect even the king to bleed
Cow and pig run like mad in diarrhea
Lungs inhale-exhale air with the chea
One of my elder siblings is swine flu
We make your lungs and blood blue
Ebola is a little younger to me
Our family spread like a meme
Though corona stands for the crown
Defeat you viciously to make brown
I am noxious and lethal but naive
A lot of meeting you should waive
This crown snatch your crown
Be hygienic and clean your town
Keep coronavirus always away
Play aerobics to make a sway
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कुलदीप मिश्रा की कविता कोरोना वायरस और लॉकडाउन पर-Kuldeep Mishra Poems On Corona Virus
ये हिंदुस्तान है और ये मार्च का महीना है
और एक फ़ैसला आपको करना है
ठीक है कि फ़िज़ा ठीक नहीं
मालूम है कि माहौल डर का है
बदसूरत सन्नाटे की आहट सुनी हमने
धुकधुकी है छाती के भीतर
फ़िक़्र है, बुज़ुर्गों की, बच्चों की
दुकानें बंद हैं
सड़कें वीरान हैं
दूसरे शहर में पड़ी मांओं की रातें करती हैं सांय सांय
कोई घर नहीं आता
दोस्तों को भींच लेने को तरसती हैं बाज़ुएं
बूढ़ी दादी कहती हैं, मुलुक को किसी की नज़र लग गई है
डर लगता है ना?
पर वो बता रहे हैं कि सफ़ेद कोट पहनने वाले
कुछ पढ़ाकुओं ने, प्रयोगशालाओं में जान दे रक्खी है
वो बता रहे हैं कि महज़ कुछ हफ़्तों की क़ैद के बाद
कई दिशाओं से आ रही हैं राहत की महक
वो बता रहे हैं कि स्पेन में सलाख़ें तोड़कर
बालकनियों से निकला है एक संगीत
उम्मीदों के रौशनदान अब भी खुले हैं
जो क़ैद में हैं वो ये संगीत सुन रहे हैं
कोई मुल्क है दुनिया के किसी कोने में डेनमार्क करके
जहां सरकार ने सेठों से कहा है कि वे नौकरियां न लें, तनख़्वाह हम से ले लें
मेरे पड़ोस की एक बच्ची ने फोन कर दिया है अपने दोस्तों को
कोरोना चला जाएगा तो फिर से खेलेंगे चोर पुलिस का खेल
दिमाग़ का एक डॉक्टर मुफ़्त में दे रहा है मशविरे
कि यहूदियों के तजुर्बे पढ़ो जहां उम्मीद का एक कण न दीखता था
सारी दुनिया सख़्ती और नरमी, दोनों का सही इस्तेमाल सीख रही है
सारी दुनिया में लोग इस बीमारी से सबक ले रहे हैं
सारी दुनिया समझ चुकी है कि ये लड़ाई बंदूक़ों और जहाज़ों की नहीं, धीरज और प्रेम की है
और ये हिंदुस्तान है जिसने सब देखा हुआ है
बंगाल के अकाल से
भुज के भूकंप तक
सुनामी पुनामी सब झेली हुई है
बस जिगरा चाहिए, करुणा चाहिए
और देखना बहुत जल्द होगा
जब हमारी बसों में प्रेमी हाथ पकड़कर बैठेंगे
और धक्का लगने पर चूमेंगे चोरी-चोरी
देखना बहुत जल्द होगा जब दफ्तर की सारी थकानें हारेंगी
जब मिल बैठेंगे कई साल पुराने दोस्त
फिर से आसमां गुलाबी होगा
मंदिरों की घंटियों से, अज़ान के स्वरों से
सड़कों पर लकड़ी की डंडी से टायर दौड़ाते बच्चे लौटेंगे
लौटेगा कीर्तन को जाती औरतों का शोर
और गोलगप्पे वाले को 10 का नोट पकड़ाती लड़कियां
लौटेंगे प्लास्टिक की कुर्सियों से सड़कें घेरे बैठे बुजुर्गों के ठहाके
ये सब विरामचिह्न हैं हमारे भागते हुए शहरों के
ये सब लौटेंगे
बस ये हिंदुस्तान है और ये मार्च का महीना है और आपको एक फ़ैसला करना है
फ़ैसला एकांत के अभ्यास का
और अपने समाज पर विश्वास का
वसंत कोई प्लेन या ट्रेन में बैठकर नहीं आता
वो चला आएगा आपके बंद पड़े घर की खुली हुई खिड़कियों से
कुछ दिन घर में रहिए जहां अपने रहते हैं
इसी बहाने फुरसतों को जी लीजिए
शीशे में देखकर फिर से बनाइए चेहरे
फिर से बचपन वाले क्रिकेट शॉट, हाथ से मारिए हवा में
पुरानी किताबों की धूल झाड़िये ज़रा
अलमारी पर चिपकी बिंदियों का गोंद छुड़ाइए ज़रा
डर है तो हो पर नफ़रत न हो
क़ैद है तो हो, अकेलापन न हो
शक है तो हो, स्वार्थ की जगह न हो
बीमारी है तो होगी अपनी जगह
आत्मा बीमार न हो
तो ये हिंदुस्तान है जनाब और ये मार्च का महीना है
और एक फ़ैसला आपको करना है
तो जाइए पहले हाथ धो आइए और
पड़ोसी को फोन करके वाई-फाई ले लीजिए
और चिल्लाइए खिड़कियों से
या धुन बनाकर गाइए इसे
कि किसी का हाथ छूना नहीं है
पर किसी का साथ छोड़ना नहीं है
और कल जब सब कुछ खुलेगा
तो देखना हमारे इन्हीं आसमानों में उड़ते हुए पंछी कहेंगे
कि कमबख़त इंसानों की इस ज़िद्दी ज़ात ने
एक लड़ाई और जीत ली
बस ये मार्च का महीना है
और आपको एक फ़ैसला करना है.
Corona Virus Poem In English
Corona Virus Poem In English By Vrajlal Sapovadia
I travel faster than lightning speed
Can infect even the king to bleed
Cow and pig run like mad in diarrhea
Lungs inhale-exhale air with the chea
One of my elder siblings is swine flu
We make your lungs and blood blue
Ebola is a little younger to me
Our family spread like a meme
Though corona stands for the crown
Defeat you viciously to make brown
I am noxious and lethal but naive
A lot of meeting you should waive
This crown snatch your crown
Be hygienic and clean your town
Keep coronavirus always away
Play aerobics to make a sway
इन्हें भी पढ़े-लॉक डाउन शायरी और कोरोना वायरस जोक्स-Lock Down Shayari and Corona Virus Jokes in Hindi
इन्हें भी पढ़े- बचपन स्टेटस-Bachpan Status in Hindi
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